ये रंगीन फिजाए जिल मिल सितारों सी शाम हवाओ में लहेराती ठंडी लगता हे जेसे आज दिलको सुकून मिल रहा हे आकाश में चलते बादल को में अपने हाथोसे छू रहा हु में महेसुस कर सकता हु इन प्यारी वादियोमे में खुद को आज बहोत बेहतरीन महेसुस करता हु मनसे आवाज़ आतिहे हसमुख जरा उडले इन हवाओ के साथ जुमले ये घनेरी शाम इन्द्र धनुष के रंगोमे रंगी सुनहरी पल को अपनी आँखों में बसाकर में जिन्दगी के इन हसींन पल को जीना चाहताहू
अपने वतन से कोशो दूर हु पर आज खुद को वतन में महेशुश करता हु ये नदिया पंछी पवन के जुलो में किसी जिल किनारे दिलको ठंडक देने वाली मनोहर संध्या आज पुरे बहरोमे खिली हुई हे लगता हे इस कुदरती सानिध्य में हमेशा खुद को पाऊ
दोस्तों वैसे में गुजरात के एक छोटा लेकिन सुन्दर गाँव से बिलोंग करता हु अपनी मात्रु भूमिकी मिटटी की खुशबु हमेशा अपने दिलमे महेशुश करता हु में जहा मेरा बचपन बिता हो वो गाँव की गलिया सड़के खेतो की हरियाली अपनों का प्यार जगडा और महोब्बत मस्ती आज भी जब याद आजाती हे तो दिल को सुकून मिलता हे जिन्दगी की उल्जन में और परिवार की जिम्मेदारी और अपने फर्ज के लिए हर पल खड़े पग दोड़ता रहता हु कभी यहाँ कभी वंहा ट्राफिक और भीड़ के बिच कभी कभी थकान शरीर को कमजोर कर देताहे मानशिक टूट जाता हु खुद को अकेला महेशुश करता हु लेकिन जब इस वक्त वतन की मिटटी की याद आती हे तो दिलो दिमाग में एक अजब सी स्फूर्ति आजाती हे जेसे पहाडोकी का सीना चीरती हुई सूरज की किरने जब धरती पर पड़ती हे तब रातको दिन भर के काम काज से थके लोग अपने अपने घरो में और पशु पक्सी भी मीठी मीठी नींद की चद्दर ओढ्के सो जाने वाले सभी निशाचर प्राणी और मनुष्य इन सूरज की किरणों से ताजगी और स्फूर्ति का अनुभव करते हे और सुनहरी सुबह में ज़ाकल के बिंदु आँखों को ठंडक देता हे और नया जोम नयी मस्ती एक ताजगी आ जाती हे वेसे ही वतन की याद मुझे सुकून देती हे।
ये मेरे प्यारे वतन ये मेरे प्यारे वतन ये मेरे बिछड़े चमन तुज पे दिल कुरबान तुजपे दिल कुरबान
हर इंसान अपने अपने वतन को चाहता हे हर कोई खुदको चाहता हे और हर इंसान अपनोका प्यार और परिवार की ख़ुशी चाहता हे भला इसमें कुछ नया नहीं हे लेकिन कुछ शब्द गुन गुना ने से दिल को सुकून मिलता हे हल्का हल्का सा महेशुश होता हे आप का क्या ख़याल हे ???????????
हसमुख बी गढवी
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