में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !!
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा
में भुज गया तो हमेशा के लिए भुज ही जाउगा
कोई चिराग नहीं हु जो फिर जला लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !!
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !!
में उसका हो नहीं सकता बता देना उसे
लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा !!
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥
सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥
साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥
जाती ना पूछो साधु की ,पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !!
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा
में भुज गया तो हमेशा के लिए भुज ही जाउगा
कोई चिराग नहीं हु जो फिर जला लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !!
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !!
में उसका हो नहीं सकता बता देना उसे
लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा
अब इस के बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा
में इस उम्मीद से डूबा की तू बचा लेगा !!
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥
सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥
साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥
जाती ना पूछो साधु की ,पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥
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